राजेश का होना, न होना...
कृष्णमूर्ति की सुलगती बातों की आंच में सींझा हुआ था यह आदमी। एक ऐसे शख्श के करीब रहा था जिसे खलील जिब्रान जैसों ने 'प्रेम का देवता' कहा था। उनके सवालों, उनके प्रहारों को सीधे अपने सीने पर ले लिया था उसने और फिर जिया था उनको...
और आखिरी मुलाकात (दिसम्बर, २०१३) में राजेश ने मुझसे कहा: नो गुड बाय, चैतन्य …लगता है जैसे हम कुछ कभी समझ ही नहीं सकते ... न कहने वाला समझता है, न ही सुनने वाला ... बस कोई बात आती और चली जाती है…
हर बात में ऐसा कुछ होता है जो समझ से बाहर होता है...उसने अलविदा कहा नहीं, और फिर भी अलविदा कह गया.
राजेश तो चला गया पर फिर भी उसका बहुत कुछ छूटा रह गया है.
राजघाट से गंगा को निहारती उसकी आँखें, दुनिया को बदलने का उसका सपना, वहाँ की पत्तियों पर, वहाँ की मिटटी पर उसके पैरों के निशान, वहाँ की हवा में गूंजते उसके कभी न थमने वाले सवाल...आग का कोई बिंदु बनाने की उसकी कोशिश जिसके चारों और जुट सकें उस आग के साथी ...
आई आई टी कानपुर जैसी जगह से डिग्री लेने के बाद, कभी भी कोई नौकरी न करना, और अपनी पूरी ज़िन्दगी समाज को बदलने की बातें करना, इंसान की चेतना में बदलाव की ज़रूरत पर बोलते रहना , लोगों से मिलना …ऐसी ऊर्जा के साथ कि सामने वाला हिल जाए। । इसी मकसद में साथ पूरी दुनिया में चलते चले जाना ... बस इन्ही बातों के साथ … राजेश और क्या था ? एक न थमने वाला तूफ़ान, आँखों में जलती हुई मासूमियत और झकझोर देने वाले सवालों के सिवाय और क्या था …ऐसे सवाल जो आपके सारे मतों को झुलसा डालें …
"गए दिनों का सुराग ले कर, कहाँ से आया किधर गया
बड़ा ही मासूम अजनबी था मुझे तो हैरान कर गया "
…२५ फरवरी की सुबह जब भास्कर का यह एस एम् एस देखा कि : राजेश इज़ नो मोर... तो जैसे लगा कि कोई कह रहा है: चैतन्य इज़ नो मोर.
ऐसे कम लोग हैं जिनके जाने पर लगता है जैसे आप खुद ही चले गए हों...
जीवन हमें ऊर्जा दे कि हम तुम्हारी आग को सलामत रख सकें। उसे एक मुट्ठी राख में तब्दील होने से रोक सकें।
तुम्हारे सवालों, तुम्हारे जोश, तुम्हारी आग को सलाम ...
…तुम्हारे साथ चुपचाप बिताये गए पलों को प्रणाम …
Chaitanya Nagar, Allahabad, India
Dear all,
ReplyDeleteI feel privileged to be considered as Rajeshbhai Dalal’s friend.
Rajeshbhai Dalal’s death is a sudden, unexpected and deeply shocking event. I considered him a Guru, who not only helped me to resolve some of the life issues but also encouraged me to pursue “higher level of consciousness”. We were supposed to meet at Ahmedabad in the first week of March.
I believe he was fully devoted to those who asked for help and always tried his best with utmost affection and love. He was selfless, energetic and passionate about his work and had a remarkable clarity on almost all life issues.
We have a responsibility to implement his and J. Krishnamurti’s teachings in to our life and make ourselves better people and spread out the teachings to our surroundings.
May God give his soul an everlasting peace.
Kind regards
Spandan Joshi